तनाव को दूर कर मानसिक संतुलन देता है चंद्रमा का यह रत्न मोती | Benefits of Wearing Pearl (Moti)
सफेद रंग का चमकदार रत्न मोती जीवन में संतुलन प्रदान करता है। अत्यधिक क्रोध करने वाले लोगों के लिए मोती रत्न किसी वरदान से कम नहीं है। इस रत्न की ऊर्जाशक्ति से मनुष्य को मानसिक संतुलन प्राप्त होता है। मोती एक रत्न से कई ज्यादा है।
आइए जानते हैं मोती रत्न के बारे में।
चंद्रमा है स्वामी (Stone of Moon)
मोती रत्न का स्वामी चंद्रमा है और चंद्रमा को मन और दिमाग का कारक माना गया है। हमारे मन और मस्तिष्क पर चंद्रमा का प्रभाव होता है और इसीलिए इन दो चीज़ों में संतुलन लाने के लिए चंद्रमा का रत्न मोती धारण किया जाता है।
मोती रत्न की आकृति (Shape of Pearl)
वैज्ञानिक रूप से मोती कैल्शियमकार्बोनेट है जोकि अपनी सबसे छोटी क्रिस्टेलाइनअवस्था में मोती के रूप में धरती पर पाया जाता है। सफेद रंग का यहरत्न बेहद चमकदार और सुंदर होता है। शुद्ध मोती तारे जैसा दिखता है। बिलकुल गोल आकार के मोती को सबसे श्रेष्ठ माना गा है। इस रत्न में कोई रेखा नहीं होती है।
मोती रत्न के ज्योतिषीय लाभ (Astrological Benefits of Pearl)
- अगर किसी जातक की जन्मकुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो उसे चंद्रमा के शुभ फल को प्राप्त करने के लिए मोती रत्न पहनना चाहिए।
- चंद्रमा से संबंधित शुभ फल पाने के लिए भी मोती रत्न धारण किया जाता है। कुंडली में सूर्य के साथ चंद्रमा बैठा हो तो वह कमजोर हो जाता है। वहीं सूर्य से अगली पांच राशियों के पहले स्थित होने पर भी चंद्रमा कमजोर रहता है। ऐसे में आपको मोती रत्न पहनना चाहिए।
- अगर केंद्र स्थान में चंद्रता हो तो उसे कम प्रभाव वाला या अप्रभावी माना जाता है। इस परिस्थिति में मोती रत्न पहनने से लाभ होता है। वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए भी इस रत्न को पहना जाता है।
मोती रत्न के स्वास्थ्य लाभ (Health benefits of Pearl)
- मन की शांति के लिए मोती रत्न पहना जाता है। चंद्रमा का रत्न होने के कारण ये आपके मन को नियंत्रित करता है और मन की चंचलता को दूर करता है।
- मानसिक तनाव को दूर करने में भी मोती रत्न बहुत कारगर माना गया है। इस रत्न की सहायता से मन के भय को दूर किया जा सकता है।
- नींद में सुधार और हार्मोंस में संतुलन के लिए भी मोती रत्न पहना जाता है। मेडिकल के क्षेत्र में कार्यरत लोगों को इस रत्न से बहुत लाभ मिलता है।
- इस रत्न का प्रयोग कभी-कभी दवाओं में भी किया जाता है। इस रत्न का दिमाग और शरीर के रसायनों पर सीधा असर पड़ता है।
- त्वचा संबंधित रोगों से मुक्ति दिलाने में भी मोती कारगर सिद्ध होता है। पेट रोगों, श्वास रोगों और मस्तिष्क से जुड़े रोगों को भी मोती से ठीक किया जा सकता है। पथरी, मूत्र रोग, जोड़ों का दर्द भी मोती ठीक करता है।
कौन कर सकता है धारण (Who can Wear Pearl)
लग्न और तत्वों के आधार पर मोती रत्न को धारण किया जा सकता है। मेष, कर्क, वृश्चिक, और मीन राशि के लोगों के लिए ये रत्न फायदेमंद होता है। अगर आपको अत्यधिक क्रोध आता है या आपका मन विचलित रहता है तो आपको मोती रत्न जरूर पहनना चाहिए।
मोती रत्न की धारण विधि (Procedure of Wearing Pearl Stone)
शुक्ल पक्ष के दिन सोमवार की रात को मोती रत्न धारण करना चाहिए। मोती रत्न को चांदी की अंगूठी में धारण करना सबसे अधिक शुभ माना गया है। पूर्णिमा की रात्रि को भी मोती धारण किया जा सकता है। सोमवार की रात्रि को मोती रत्न की अंगूठी को गंगाजल में डालकर कुछ समय के लिए भगवान शिव के समक्ष रख दें। अब 108 बार ऊंसोमाय नम: मंत्र का जाप करें और इस अंगुठी को अपने दाएं हाथ की छोटी अंगुली में पहन लें।
मोती रत्न का विकल्प (Substitute of Pearl Stone)
शुद्ध मोती रत्नअत्यंत महंगा होता है। अगर आप मोती धारण नहीं कर सकते हैं तो इसकी जगह चंद्रकांत मणि या सफेद पुखराज भी पहन सकते हैं। मोती और उसके विकल्प के साथ हीरा, पन्ना, गोमेद, नीलम और लहसुनिया आदि धारण नहीं करना चाहिए।
मोती धारण करने पर सावधानी ( Caution on wearing Pearl)
मोती रत्न के साथ हीरा, पन्ना, नीलम, गोमेद और लहसुनिया धारण ना करें। मोती रत्न आपकी मानसिक दशा को प्रभावित करता है इसलिए कभी-कभी ये गंभीर अवसाद और तनाव भी दे सकता है। इससे घबराहट, बेचैनी और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। कभी-कभी इससे रक्तचाप की समस्या भी हो सकती है।
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